* * *शहर में नौकरी ढूंढने चला तो एहसास हुआ की काम आए या ना आए अंग्रेज़ी आनी बहुत ज़रूरी है। अँग्रेज़ी नहीं आती तो बाहर बैठा सिक्योरिटी गार्ड गैट आउट बोल कर भगा देता है। सच पूछो तो जीवन में इतना अपमान तो कभी न हुआ।
लेकिन उसी अपमान के चलते अँग्रेज़ी सीखने की ठानी। अब छह महीने गुजर गए हैं, अंग्रेजी तो नहीं आई लेकिन अंग्रेजी कोचिंग ज़रूर खोल ली। अब हम भी कई सिक्योरिटी गार्ड को गेट आउट बोलने तक की अंग्रेज़ी सीखा देते हैं।
* * *
अंग्रेज़ी की लत हमें बीड़ी पीने वाले टुच्चे लफंगों से उठा ऊँची सोसाइटी में सिगरेट फूँकते पूँजीवादी भेड़ियों तक ले आयी है। अब वापिस घर हम पैदल नहीं टैक्सी से जायेगा।
* * *
अंग्रेज़ी की गालियाँ भी तारीफों का गुलदस्ता लगती है।
* * *
कुछ लोगों को डर अंग्रेज़ी से नहीं अंग्रेज़ी बोलने वालों से लगता है।
YOU ARE READING
देख तमाशा: लघु कथाओं का संग्रह
Short Storyरचना - देख तमाशा लेखक - आशुतोष मिश्रा देख तमाशा दरअसल दिल की डाइयरी जैसी है! जो अच्छा लगा, लिख दिया! ज़्यादा कुछ सोचा नहीं! यहाँ आपको लघु कथायें, विचार, कुछ कवितायें, कुछ गुदगुदाती बातचीत, कुछ अजीबोगरीब किस्से मिल सकते हैं! आशा है आपको यह सं...