जिधर देखो उधर लत लगी हुई है!
बीमारियों को दवाइयों की लत!
घोटालों को नेताओं की लत!
पगार को कटौती की,
किस्मत को पनौती की,
इधर लत, उधर लत!
धुएँ की लत, ठेके की लत!
वादों की लत, वोटों की लत!
दरअसल यह देश चल ही तरह तरह की लत से रहा है!
आप पढ़ रहे हैं
देख तमाशा: लघु कथाओं का संग्रह
Short Storyरचना - देख तमाशा लेखक - आशुतोष मिश्रा देख तमाशा दरअसल दिल की डाइयरी जैसी है! जो अच्छा लगा, लिख दिया! ज़्यादा कुछ सोचा नहीं! यहाँ आपको लघु कथायें, विचार, कुछ कवितायें, कुछ गुदगुदाती बातचीत, कुछ अजीबोगरीब किस्से मिल सकते हैं! आशा है आपको यह सं...