18 | कर्नल का दोस्त

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जब से रिटायर हुए हैं तभी से कर्नल तेजप्रताप कुछ मायूस हो गये हैं। इतने सालों परिवार से दूर रहे और अब जब पास आए तो कुछ भी अपना सा उन्हे नहीं लगता।

आर्मी कॅंप्स में थे तो अपने व्यस्त कार्यक्रम से कुछ पल परिवार के लिए निकाल लेते और उन पलों में अत्यंत सुख की अनुभूति होती। बिटिया से दो पल हंसी ठिठोली हो जाती तो पूरा दिन मुस्कुराते निकल जाता। लेकिन अब सब बदल गया है!

डिन्नर टेबल पर सब अपनी अपनी बातें कर रहे होते हैं और कर्नल साहब उन्हें चुपचाप सुनते रहते हैं। दोस्तों से भी बतलाना कम हो गया है। कभी कभी एकांत में अपने मेडल्स और वर्दी को सहला लेते है।

अक्सर शाम को सैर पर निकल जाते हैं और किसी पार्क की खाली बेंच पर बैठ पुस्तक में मन लगाने का नाटक करते हैं। कभी कभी तो घर लौटने का मन नहीं करता।

क्या जंग वाकई इंसान को इतना खोखला बना सकती है कि उसका अस्तित्व ही एक प्रश्न बन जाये। अब कर्नल साहब की जिंदगी में कोई मिलिटेंट या आतंकवादी नहीं है जो उनकी नींदे हराम करे।

इन सब से मन हटाने के लिए सोचा कि किताब लिखी जाए लेकिन सात पन्नों से आगे नहीं बढ़ पाए। अकेलापन बुखार की तरह उन्हें जकड़े रहा। आसपास क्या कुछ हो गया पता भी न चला।

एहसास नहीं रहा कब लड़का विदेश चला गया, कब लड़की का ब्याह हो गया और धर्मपत्नी का देहांत हो गया। मानो किसी बेहोश आदमी के हाथों से रेत फिसल रही हो, कुछ वैसा हाल कर्नल का था। 

जिंदगी एक बुरा सपना बन चुकी थी। अकेलेपन में कब दिन रात और कब रात दिन होती थी, पता न था। लेकिन फिर एक दिन उन्हे एक दोस्त मिला...

...बड़ा ही नटखट और मनचला।

ज़्यादा कुछ कहता नहीं था लेकिन समय का बड़ा पक्का था।  उनके शाम की सैर से आने से पहले ही दरवाजे पर तैयार मिलता। उनके साथ किचन में चला आता और इंतज़ार करता की उसे कुछ खाने को मिले।

कर्नल साब ने एक दो दिन तो मना किया लेकिन फिर वह उसे खिलाने पिलाने लगे। कुछ दिनों बाद दोनों साथ ही में सैर पर जाने लगे। शाम को साथ में टीवी देखते हैं और फिर सो जाते हैं! उनका दोस्त अब उनके साथ ही शिफ्ट हो गया।

अब चूंकि बच्चे कई दिन से जिद्द कर रहे थे तो कर्नल साहब ने आख़िरकार उनकी बात मानते हुए फ़ेसबुक पर अकाउंट बना ही लिया। उनके पास अब एक वजह भी तो थी। दिन मे दो तीन बार अपने दोस्त के फोटोस और वीडियोस शेयर कर देते।

कुछ ही दिनों में उनके काफ़ी फॉलोवर्स हो गए। फैन मेल्स आने लगे। लोग उनकी और उनके मित्र की जोड़ी काफी पसंद कर रहे थे। फिर एक दिन अचानक निशा और पार्थ दोनों घर आ गए और उन्हें सरप्राइज दिया। 

कर्नल साहब का जन्मदिन था और उनका छोटा सा परिवार उनके साथ था। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। केक काटा, खाया, और फिर बच्चों को हेन्री से मिलवाया।

हेन्री उनका प्यारा दोस्त...

हेन्री से मिलकर दोनो बच्चे बहुत खुश हुए और उसे ऐसे गोद में उठाया जैसे उनका ही छोटा भाई हो। फिर कर्नल साहब की तरफ देखते हुए बिटिया ने उनसे पूछा...

...पापाजी यह बिल्ला काटेगा तो नहीं न?

देख तमाशा: लघु कथाओं का संग्रहWhere stories live. Discover now