अक्ल बड़ी या भैंस बड़ी
अक्ल और भैंस की लड़ाई आधुनिक दौर में भी जारी थी। भैंस ने नदी किनारे चारा खाते हुए अक्ल से कहा -
'रे कमअक्ल अक्ल, तूने इतने वर्षों में क्या प्रगति करी?'
'रे मेरी भोली बहना, तू हमेशा ही मुझसे ईर्ष्या रखती आयी है,' अक्ल ने धैर्य से जवाब दिया, 'अपने चारों ओर देख मैंने कितनी प्रगति कर ली है। पहले यह आदमी आग जलाना भी नहीं जानता था। घोड़ा गाड़ी पर सफ़र करता था पर आज मेरी बदौलत इंसानियत अंतरिक्ष में पहुँच चुकी है। आज यह आदमी बड़ी बड़ी इमारतों में रहने लगा है। तू मेरी बात मान ले भैंस बहना, यह बहस यहीं छोड़ दे और क़ुबूल कर ले की मैं ही बड़ी हूँ!'
'नहीं मैं नहीं मानती,' भैंस ने भी शालीनता से जवाब दिया, 'मुझे याद है आज से कई वर्ष पहले तक यह आदमी मुझमें और मेरी सखी गैया में कोई फ़र्क़ नहीं करता था। दोनो को समान दृष्टि (नज़र) से देखता था। तूने उसके दिमाग़ में संस्कृति और सभ्यता का जो वायरस घोला है, उसीकि वजह से आज गैया तो मैया है और मैं कुछ भी नहीं।'
भैंस ने उदासी भरे स्वर में कहा, 'ए बावरी अक्ल की दुश्मन अक्ल, तूने आदमी की सोच को बड़ा नही अपितु शूक्ष्म बना दिया है!'
'लेकिन इतने बड़े कारखाने-' अक्ल बोलने लगी।
'हवा को मैली कर रहे हैं-' भैंस बात काटने लगी।
'खुद को बचाने के लिए जो इतने हथियार-'
'परमाणु बम से किसका बचाव होता है?'
'मेरी वजह से दुनिया भर में इतनी संधियाँ हुई है-'
'तो युद्ध क्या मेरी वजह से हुए हैं?'
'मैने बड़े बड़े महानगर बसाए-'
'जिन्हे कॉंक्रीट का जंगल कहने में मुझे कोई शर्म नहीं है-'
'यह ग़लत है-'
'क्या यह भी ग़लत है की इंसान अब प्रकृति से बहुत दूर हो चुका है'
'प्रकृति को बचाने के लिए ही तो मानवता प्रयासरत है'
'जिसका ग्लोबल वॉरमिंग एक प्रमुख उदाहरण है'
'तेरी तरह तेरी सोच भी काली है'
'अरे हाँ, रेसिस्ट बर्ताव का ज़िक्र करना तो भूल ही गयी थी!'
'नहीं, मेरा वो मतलब नहीं था!'
'तो क़ुबूल करले तूने इंसानों को जाती, रंग, धर्म, संप्रदाय, में बाँट दिया है।'
'मैं तुझसे बहुत ज़्यादा ताक़तवर हूँ, मुझसे बहस मत कर! एक शब्द और बोला तो किसी बूचड़खाने के कोने में पड़ी मिलेगी'
'यही सत्यवादिता तो तुझे मुझसे महान बनाती है। चल अब चलती हूँ। कल फिर मिलेंगें।'
यह कह कर भैंस धीरे से निकल ली और एक बार फिर अक्ल गहरी सोच में पड़ गयी।
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देख तमाशा: लघु कथाओं का संग्रह
Short Storyरचना - देख तमाशा लेखक - आशुतोष मिश्रा देख तमाशा दरअसल दिल की डाइयरी जैसी है! जो अच्छा लगा, लिख दिया! ज़्यादा कुछ सोचा नहीं! यहाँ आपको लघु कथायें, विचार, कुछ कवितायें, कुछ गुदगुदाती बातचीत, कुछ अजीबोगरीब किस्से मिल सकते हैं! आशा है आपको यह सं...