19 | बेवकूफी

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बेवकूफी 


जैसे ही एक नये डॉक्टर गाँव में आए, गप्पेंद्र अपनी बेवकूफी का इलाज़ कराने उनके क्लिनिक पहुँच गया। डॉक्टर साहब जानते थे की गाँव में टेढ़े मेढ़े लोग मिलना स्वाभाविक है लेकिन पहले ही दिन के पहले ही मरीज़ की बीमारी बेवकूफी निकल जाए तो फिर तो ज़रूर कुछ गड़बड़ है। गाँव में आने का मन नहीं था लेकिन किसी ने कहा कि पास ही में नदी बहती है तो फिर मन बना लिया।

गप्पेंद्र ने उन्हें बताया कि आस पड़ोस के सब लोग उसे बेवकूफ़ बुलाते हैं और बहुत चिढ़ाते हैं। यहाँ तक कि उसके बेवकूफी के किस्से गाँव की औरतें अपने बच्चों को सुनाकर सुलाती हैं तो कुछ उपाय बताएँ। डॉक्टर ने थोड़ी नब्ज़, थोड़ी आँखें और गला चेक किया और बोले की दिखते तो स्वस्थ ही हो लेकिन समस्या गंभीर मालूम होती है...क्यूँ न तुम कुछ दिन यह दवाई ले लो...और हो सके तो लोगो से कुछ दिन बोलो ही मत...मौन धारण कर लो।

गप्पेंद्र एक भयंकर आत्मविश्वास के साथ क्लिनिक से निकला और मौन धारण करने का प्रण ले लिया। डॉक्टर की दवाई दरअसल पानी की एक शीशी थी जिसे वह हर रोज लेने लगा। कई वर्ष बीत गये, वह कुछ बोला ही नहीं। उसे गाँववालों ने बेवकूफ़ कहना भी छोड़ दिया था। डॉक्टर साहब भी कुछ दिन बाद ही वहाँ से चले गये थे लेकिन कुछ वर्षों बाद  उनकी पोस्टिंग फिर से वहीं हो गयी। नदी ना होती तो फिर इस गाँव की ओर मुड़ कर भी न देखते पर ठीक है...फिर से कुछ दिन शहर की भागदौड़ से दूर सुहाने मौसम में बिताने को मिलेंगे सोच कर वह आ गये।

पहले दिन ही सुबह सुबह गप्पेंद्र उनके क्लिनिक पहुँच गया।

उसे देख कर उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुई और तुरंत पूछा की तुम्हें अब तो कोई बेवकूफ़ नहीं कहता ना?

उसने गर्दन हिलाकर ना कह दिया। डॉक्टर साहब को बड़ी खुशी हुई जान कर की उनका इलाज़ काम कर गया। गप्पेंद्र अब काफ़ी समझदार दिखाई पड़ रहा था। फिर उन्होंने उससे चार पाँच सवाल और पूछ लिए लेकिन गप्पेंद्र सिर्फ़ सर हिला कर ही जवाब देता।

यह देखकर उन्हे थोड़ा आश्चर्य हुआ तो फिर उन्होने उसके सर पर प्रेम से हाथ फेरते हुए पूछा की कहो क्या समस्या है?

गप्पेंद्र ने उनकी ओर आदरभाव से देखा और जवाब दिया। वह शब्द उसके मुँह से पूरे एक दशक बाद निकले होंगे। वह बोला कि गाँववाले अब उसे बेवकूफ़ नहीं गूँगा बोल कर चिढ़ाते हैं, इलाज बताएँ...!

यह सुनकर डॉक्टर साहब के सर के बाल सफेद हो गये...वह तुरंत क्लिनिक से बाहर निकल पास वाली नदी में डुबकी लगाने चले गये।

देख तमाशा: लघु कथाओं का संग्रहWhere stories live. Discover now